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#DailyLifeBlog With RJ Surabhi With Friends Chat | RJ सुरभि के साथ डेली लाइफ ब्लॉग पार्ट 1
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#DailyLifeBlog With RJ Surabhi With Friends Chat | RJ सुरभि के साथ डेली लाइफ ब्लॉग पार्ट 1
आरज़ू || Aarzoo
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कोई हमको चाहे,
कोई हमको छू के संदल बना ले
इस मेरी आरज़ू को कोई गले से लगा ले,
सितम तो ज़माने का
देखा हमने भी,
एक तुम्हीं तो नहीं
हो घायल जहाँ के........
चाहा था बस इतना-
दो बोल मीठे कोई हमसे बोले,
कोई हमको शीतल सा मलहम लगा दे
कहाँ से कहाँ तक
सफ़र में रहे हम,
कोई मोड़ ऐसा नहीं फिर
से आया
कोई हाथ थामे,
कोई दे तसल्ली,
कोई हमको अपनी नज़र में
बसा ले
ज़िन्दगी से बड़ी नहीं है
तेरी बेवफाई ,
तुम्हें याद रखें या तुम्हें
भूल जाएँ,
यही आरज़ू करता है हमेशा ये दिल-
कोई आके तोड़े सारे ये बंधन,
कोई फिर से
मुझको मेरी जुस्तजू से मिला
दे
भूल क्यों जाते हैं
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बचपन की बातों को
बचपन को घातों को
हम भूल क्यों जाते है
बचपन के सपनों को
बचपन के अपनों को
हम भूल क्यों जाते हैं
जब जब लड़ते थे
हम भाई बहन देखो
तब माँ समझाती थी
माँ की उन बातियों को
हम भूल क्यों जाते हैं
नाराज़ हुए जब भी
बस यूँ मन जाते थे
कट्टी से मिट्ठी भी
बस यूँ बन जाते थे
आँखों की उन खुशियों को
हम भूल क्यों जाते हैं .....
#सुरभि
बोझ
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कुछ बोझ
ऐसे भी होते हैं,
जिनका
असर ताउम्र रहे तो भी अच्छा
वो ऐसा हो ,
वैसा हो ,
कैसा भी हो,
बस साथ रहे वो भी अच्छा
अपना तो
कोई अस्तित्व
नही दीवार का ,
एक छत ही
उसे मकान बनाती हैं
मेरे हमदम का
मुझे मिल जाता साथ,
धरती सोचती है,
पर फिर ख्याल आता है उसे-
कुछ नहीं ....... न सही
मेरे सर पर
ये ठहरा हुआ आसमान भी अच्छा
ऐसे भी होते हैं,
जिनका
असर ताउम्र रहे तो भी अच्छा
वो ऐसा हो ,
वैसा हो ,
कैसा भी हो,
बस साथ रहे वो भी अच्छा
अपना तो
कोई अस्तित्व
नही दीवार का ,
एक छत ही
उसे मकान बनाती हैं
मेरे हमदम का
मुझे मिल जाता साथ,
धरती सोचती है,
पर फिर ख्याल आता है उसे-
कुछ नहीं ....... न सही
मेरे सर पर
ये ठहरा हुआ आसमान भी अच्छा